how to reach kedarnath | केदारनाथ कैसे पहुँचें – केदारनाथ जो की एक बहुत ही पवित्र धाम में से एक माना जाता है जहां मन को प्रसन्न करने वाली खूबसूरत पहाड़ नदियाँ झरने है जिसे देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते है और दर्शन करते है तथा वहाँ के जगहों का लुफ्त उठाते है यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है
आप वहाँ जरुर जाएँ और वहाँ के जगहों के लुफ्त उठाये क्युकी यह जगह खुद में ही एक स्वर्ग जैसा है और इसके आस-पास भी बहुत ही अच्छी अच्छी जगह है दोस्तों आप कभी भी यहाँ आयेंगे आप जरुर भोलेनाथ की इन खुबसूरत वादियों में विलीन हो जायेंगे यहाँ की मुख्य नदी मन्दाकिनी मानी जाती है,यहाँ सर्दियों में बहुत ही ज्यादा बर्फ़बारी होती है जो की यहाँ के पहाडो को बर्फ के सफ़ेद चादरो में ढक देती है
Place to visit in Kedarnath | केदारनाथ में घुमने वाले जगह –
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- उखिमठ
- गंगोत्री ग्लेशियर
- कंचनी ताल
- वासुकी ताल
- गउन्नधर
- अगस्त्यमुनि
- सोनप्रयाग
- गौरीकुंड
- चंद्रशिला शिखर
- गुप्तकाशी
- रुद्रनाथ
how to reach kedarnath | केदारनाथ कैसे पहुँचें –
केदारनाथ कैसे पहुँचें – वहाँ जाने के लिए आप अपनी खुद की गाडी से या बस, ट्रेन, हवाई जहाज के जरिये भी जा सकते है और ऋषिकेश, हरिद्वार, सोनप्रयाग , गौरीकुंड तक ही साधन से जा सकते है उसके बाद आपको 16किमी तक पैदल या घोड़े , पालकी जे साहारे जाना होगा यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना है
how to reach kedarnath by bus | बस से जाने के लिए-
आप अपने शहर से बस की बुकिंग भी कर सकते है जो आपको बहुत सारे स्थान घुमाने के साथ साथ केदारनाथ धाम के भी दर्शन हो जायेंगे या आप ऋषिकेश तक जाएँ और वहाँ से केदारनाथ 223 किमी तक की दुरी है वहाँ से आपको भाड़े की बहुत सी गाड़ियां मिल जाएँगी
How To Reach Kedarnath By Train | ट्रेन से जाने के लिए-
ट्रेन से जाने के लिए आप ऋषिकेश या हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर उतर कर आप अपने अनुसार साधन की बुकिंग कर के जा सकते है
How To Reach Kedarnath By Flight | हवाई जहाज से जाने के लिए-
हवाई यात्रा के जरिये आपको देहरादून के जॉली ग्रांट एअरपोर्ट उतरना पड़ेगा वहाँ से केदारनाथ धाम की दुरी 239किमी है वहाँ पहुच कर आप साधन की बुकिंग कर के या बस के जरिये भी जा सकते है.
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what is the best time to visit kedarnath? | केदारनाथ धाम जाने का अच्छा समय , मौसम
केदारनाथ धाम जाने का सबसे अच्छा मौसम मई से अक्टूबर के बिच माना जाता है क्युकी इस बिच वहाँ का मौसम काफी सुहावना रहता है आप कभी भी बरसात के मौसम में वहाँ न जाए क्युकी वहां बहुत ही अत्यधिक बारिश होती है और ज्यादा बारिश के कारण वहाँ के कई रास्ते बंद कर दिए जाते है
तथा वहाँ श्रद्धालु फंस जाते है इस मंदिर का कापाट मई के शुरुवात में ही खोल दिए जाते है और दिवाली तक बंद किये जाते है मंदिर खुलने तथा बंद करने के समय में हमेशा बदलाव होता रहता है क्युकी हिंदी पंचांग को देखते हुए मंदिर के खुलने तथा बंद होने का मुहूर्त निकाला जाता है यहाँ बद्रीनाथ, यमुनोत्री , गंगोत्री जैसे और भी तीर्थ स्थल है
दर्शन का समय –
- केदारनाथ का कपाट श्रद्धालुओ के लिए प्रातः 6.00 बजे खुल जाता है
- दोपहर के समय में महत्वपूर्णं पूजा होता और उसके बाद मंदिर के कापाट को बंद कर दिया जाता है
- शाम में 5.00 बजे श्रद्धालुओ के लिए दुबारा मंदिर का कापाट खोला जाता है
- और इसके बाद भगवान शिव जी का श्रृंगार किया जाता है
- जब उनका श्रृंगार होता है उस समय मंदिर का कापाट को बंद ही रखा जाता है
- फिर थोड़ी देर बाद मंदिर का कपाट खोलकर भगवान भोले नाथ की आरती होती है
- 4 बजे से 7 बजे तक महाविषेक पूजा की जाती है
- रात को 8.30 बजे मंदिर को बंद कर दिया जाता है
- केदारनाथ धाम जाने का सबसे अच्छा मौसम मई से अक्टूबर के बिच माना जाता है
- मंदिर का कापाट मई के शुरुवात में ही खोल दिए जाते है और दिवाली तक बंद किये जाते है
- मंदिर खुलने तथा बंद करने के समय में हमेशा बदलाव होता रहता है
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कुछ जरुरी बातों का ध्यान दे – |
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अगर आपको चलने में कोई तकलीफ होती है यहाँ हेलीकॉप्टर की भी सुविधा उपलब्ध जिसके जरिये आप मंदिर तक पहुच सकते है |
आप घोड़े या पालकी के सहारे जाना चाहते है तो आप गौरीकुंड से ही बुकिंग करे क्युकी अगर आप सोनप्रयाग से बुकिंग करते है आपके 2 घंटे ज्यादा लगेंगे |
अगर आपको दर्शन करके शाम तक वापस लौटना है तो आप एकदम सुबह के समय ही गौरीकुंड से निकल जाएँ आप शाम तक दर्शन कर के विश्राम भी कर लेंगे |
यहाँ सबसे ज्यादा भीड़ मई और जून में होता है और इस समय होटल मिलना भी मुश्किल होता है |
आप कोशिश करे की छोटे बैग में ही आपका सारा सामान आ जाये |
आप अपने साथ रेन कोट ,जैकेट, विंड शीटर , ब्लंकेट , गर्म कपडे , लेकर जाएँ |
आप साथ में ग्लूकोज भी ले सकते है जिससे आपकी थकान दूर होगी और आपके अन्दर एनर्जी बनी रहेगी |
आप कोशिश करे की छोटे बच्चो, और जो अस्थमा के मरीज हो उनको ना लेकर जाएँ क्युकी वहाँ बर्फीली तूफ़ान और पहाड़ के ऊपर चढ़ाई करते वक़्त किसी किसी को आक्सीजन की भी समस्या होने लगती है |
रात के समय यात्रा करने से बचे क्युकी रात में वहाँ जानवर रास्ते पर देखने को मिलते है इसीलिए कोशिश करे की सुभ के समय में यात्रा करे |
दवा ले जाना बिकुल न भूले आप दवाइयों में पेट दर्द , सर दर्द ,उल्टी (वूम्टिंग)बुखार , की दवा ले सकते है |