places to visit in leh ladakh | भारत का ठंडा रेगिस्तान लद्दाख – अगर आप गर्मियों के मौसम में भी ठंडी का मज़ा लेना चाहते है तो आप एक बार लेह लद्दाख का सफ़र जरुर करें क्युकी लेह लद्दाख को भारत का ठंडा रेगिस्तान ( कोल्ड डेजर्ट ,Cold Desert Ladakh) भी कहा जाता है आपको यहाँ बहुत ही ज्यादा शांति और सुकून का अनुभव मिलेगा यह एक बहुत ही ज्यादा रोमांचक और आकर्षित जगहों में से एक है यहाँ आप एक यादगार पल के साथ जिंदगी का असली मज़ा ले सकते है
लद्दाख का सबसे बड़ा बड़ा और मुख्य शहर लेह को माना जाता है इसीलिए ज्यादातर लोग इस शहर का नाम लद्दाख से जोड़ते है और इसे लेह लद्दाख के नाम से जानते है लेह शहर समुद्र तल से लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो उत्तर दिशा में कुनलुन चोटी और दक्षिण दिशा में हिमालय पर्वत की चोटी के बिच बसा खुबसूरत सा दृश्य वाला लेह शहर स्थित है और ज्यादातर पर्यटक लेह शहर में ही घुमने के लिए आते है
आइये अब हम बात करते है लेह लद्दाख कैसे जाएँ तथा लेह लद्दाख में घुमने वाले जगहों के बारे में –
tourist places in leh ladakh in hindi | top 10 places to visit in ladakh | tourism in ladakh | Cold Desert Ladakh | लेह लद्दाख में घुमने वाले जगह-
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खारदुंग ला पास | Khardung La In Leh ladakh |
चादर ट्रैक | Chadar Trek In ladakh |
पैंगोंग झील | Pangong Lake In leh ladakh |
मैग्नेटिक हिल | Magnetic Hill In Ladakh |
स्टोक पैलेस | Stok Palace Heritage Hotel Ladakh |
कारगिल | Kargil Vijay Diwas |
त्सो मोरीरी झील | Tso Moriri Lake In Ladakh |
गुरुद्वारा पत्थर साहिब | Gurudwara Patthar Sahib |
हेमिस मठ | Hemis Monastery In Ladakh |
फुगताल मठ | Fugtal Math Ladakh |
खारदुंग ला दर्रा लद्दाख – Khardung La Pass In Leh ladakh
5,359 मीटर की उंचाई पर स्थित खारदुंग ला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो दिखने में बहुत ही आकर्षक है जिसे देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है इसे कुछ लोग खारदोंग ला या खर्दज़ॉंग ला के नाम से भी जानते है जो लद्दाख सीमा पर स्थित लेह के उत्तरी तथा श्योक और नुब्रा घाटियों के मुख्यद्वार पर है यह सियाचिन हिमनद उत्तरार्ध्द में उपस्थित भाग तक का रास्ता है जिसका निर्माण सन 1976 ई में हुआ था और इसे सन 1988 ई में सार्वजनिक वाहन और आम लोगो के लिए खोला गया लोगो का मानना है की यह दुनिया का सबसे ऊँचा वाहन योग्य दर्रा है
चादर ट्रैक लद्दाख – Chadar Trek In ladakh
places to visit in leh ladakh | भारत का ठंडा रेगिस्तान – ठंडी के मौसम में बर्फ की सफ़ेद चादर से ढके ज़ंस्कार नदी के ऊपर ट्रेकिंग करने की प्रक्रिया को लोग चादर ट्रैक के नाम से जानते है और यही नाम बहुत ही ज्यादा मशहूर है जहां घुमने के लिए देश-विदेश से लोग आते है और इस रोमांचक जगह का लुफ्त उठाते है एक शब्दों में कहा जाएँ तो “नदी के ऊपर जमी हुयी बर्फ की परत ”
चादर ट्रेक लेह
इतना ही नहीं यह रोमांचक नदी गर्मियों के मौसम में रिवर राफ्टिंग के लिए भी मशहूर है मतलब आप कभी भी इस जगह जायेंगे तो ये नदी आपको निराश नहीं करेगी आपको जरुर एक न्य और रोमांचक भरी यादगार पल का अनुभव कराएगी यहाँ की पैदल ट्रैकिंग लगभग 105 किलोमीटर तक की होती है तथा आप चाहते है तो बर्फ में चलने वाली गाडी का भी इस्तेमाल कर सकते है
चादर ट्रैक लद्दाख में घुमने का सबसे अच्छा मौसम ठंडी का ही माना जाता है
चादर ट्रैक लद्दाख में घुमने का सबसे अच्छा महिना जनवरी-फरवरी का माना जाता है
Pangong Lake In Leh Ladakh | पांगोंग त्सो झील लेह लद्दाख –
places to visit in leh ladakh | भारत का ठंडा रेगिस्तान – लेह- लद्दाख के खुबसूरत जगहों में शामिल पैंगोंग झील जो लगभग 4500 मीटर की उंचाई पर हिमालय में मौजूद है जिसे हम पैंगोंग झील , पांगोंग झील त्सो: के नाम से भी जानते है यह झील लगभग 134 किलोमीटर लम्बी है जो भारत के लद्दाख से लेकर तिब्बत तक फैली हुयी है यहाँ बहुत सारी फिल्मो का भी शूटिंग भी किया गया है यह झील लेह- लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थानों में से एक है ज्यादा उंचाई पर होने के कारण इस झील का तापमान लगभग -10 से -15 डिग्री सेल्सियस के बिच तक का होता है जो ठंड के मौसम में पूरी तरह से यह झील जम जाती है
Pangong Lake Ladakh पांगोंग त्सो झील लेह लद्दाख
Magnetic Hill In Ladakh | चुंबकीय पहाड़ी लेह लद्दाख –
मैग्नेटिक हिल या ग्रेविटी हिल कहे जाने वाला यह पहाड़ बहुत ही प्रसिद्ध है क्युकी यहाँ जाने के बाद गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से कोई भी वाहन स्वयं ही पहाड़ की तरफ आगे बढ़ने लगते है कुछ लोग तो इसे अजूबा और कुछ लोग इस पहाड़ को चमत्कारी बताते है यह पहाड़ समुद्र तल से लगभग 14,000 फिट की उंचाई पर मौजूद है जादुई पहाड़ कहे जाना वाला यह जगह बहुत सारे पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है जहां हजारो लोग इस चमत्कारी पहाड़ को देखने के लिए आते है और इस जगह का आनंद लेते है
Magnetic Hill In Ladakh चुंबकीय पहाड़ी लेह लद्दाख –
Stok Palace Heritage Ladakh | स्टोक पैलेस लद्दाख –
सन 1825 ई में बना यह स्टोक पैलेस नाम का महल जिसका निर्माण महाराज त्सेपाल तोंदुप नामग्याल जी के द्वारा किया गया था जब डोगरा सेना ने राजा के लेह पैलेस पर हमला किया था तब राजा और उनका परिवार इस स्टोक पैलेस महल में रहने के लिए चले आए थे यह महल अपने भव्य आलिशान और अपनी खूबसूरती के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है जो सिन्धु घाटी के तट पर स्थित है इस आकर्षक महल में लगभग 80 कमरे है जिसमे से 12 कमरे आज भी शाही अंदाज में सजे हुए है
इस महल में आप पुराने जमानो के शाही पोशाक , गहने , शाही मुकुट , फिरोजा और लापीस लजुली के जेवरात , सोलहवीं शताब्दी की अफगाना तलवार तथा अन्य शाही चीजो को देखने के साथ-साथ आप इसमें मौजूद बहुत ही खुबसूरत उद्यान और कैफ़े को भी देख सकते है मै आपको बताना चाहूँगा की स्टोक पैलेस महल और उसमे स्थित म्यूजियम घुमने में आपको कम से कम 3 से 4 घंटो का समय लग जाता है
Kargil Ladakh| कारगिल लद्दाख़ –
लद्दाख़ के केंद्र शासित प्रदेश करगिल ज़िले में स्थित एक मुख्यालय भी है जो सुरु नदी के मध्य में स्थित है अगर आपको ट्रैकिंग बहुत ही पसंद है तो आप इस जगह जाना बिलकुल भी न भूले कारगिल पर्यटक स्थल के लिए एक मुख्य स्थान माना जाता है यह जगह ज्यादातर ट्रैकिंग और बौद्ध पर्यटकों के लिए खास मानी जाती है क्युकी यहाँ बौद्ध धर्म के बहुत सारे प्रसिद्ध आश्रम मौजूद है करगिल काश्मीर घाटी के उत्तर-पूर्व दिशा में मौजूद है तथा कारगिल से श्रीनगर की दुरी लगभग 200 किलोमीटर है
Kargil Vijay Diwas | कारगिल विजय दिवस –
कारगिल में 3 मई सन 1999 ई में भारत और पाकिस्तान के बिच हुआ था और भारत ने पाकिस्तान को पराजित कर किया था कारगिल युद्ध 3 मई से लेकर 26 जुलाई 1999 तक चली थी और उस दिन से कारगिल विजय दिवस हमेशा 26 जुलाई को मनाया जाता है उस युध्य के दौरान भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया था जिसकी वजह से पाकिस्तान जंग में हार गया
Tso Moriri Lake Ladakh | त्सो मोरीरी झील लद्दाख़ –
ऊँची-ऊँची पहाडो और घने जंगलो से घिरा यह झील बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन इसकी सबसे खास बात यह है की यहाँ का नज़ारा सबसे अलग है मानो जैसे कोई स्वर्ग हो लेकिन यहाँ हर कोई नहीं जा पाता क्युकी इसकी उंचाई समुद्र तल से लगभग 14,830 फिट ऊँचा है इतना उंचाई तक चढना हर किसी की बात नहीं होती क्युकी इतनी उंचाई तक जाने में आपको बहुत सारी परेशानियां आती है और दूर-दूर तक कोई दिखाई भी नहीं पड़ता इसीलिए इस झील के पास बहुत ही कम लोग जाते है इस जगह को माउंटेन लेक या वेटलैंड रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है
त्सो मोरीरी झील लगभग 28 किलोमीटर लम्बा और 4 किलोमीटर चौड़ा है यह झील बहुत शांत स्थानों में से एक है लेकिन इसकी खूबसूरती बहुत है ज्यादा आकर्षक है यहाँ घुमने का सबसे अच्छा समय मई से सितम्बर तक का होता है तथा यहाँ का मौसम बहुत ज्यादा ठंडा होता है इसीलिए आप अपने साथ गर्म कपडे लेना बिलकुल ना भूले
अगर आप त्सो मोरीरी झील का सफ़र तय करने की सोच रहे है तो आप कुछ जरुरी दवाइयां जैसे सर दर्द , उल्टी आना , सांस लेने में तकलीफ ,और पैरासिटोमोल आदि जैसे दवाइयां अपने साथ जरुर रखें क्युकी उतनी उंचाई चढने के बाद आपको ऑक्सीजन की कमी पड़ने लगती है लेकिन ऐसी परेशानी सब के साथ नहीं होती बस जिसको पहले से ही सांस की परेशानी है उनको थोडा तकलीफ हो सकता है
Gurudwara Patthar Sahib | गुरुद्वारा पत्थर साहिब –
लेह शहर से लगभग 25 किलोमीटर पहले श्रीनगर लेह रोड में स्थित पत्थर साहिब गुरुद्वारा जहां दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग आते है यह पवित्र स्थान बहुत ही ज्यादा आकर्षक है क्युकी यहाँ श्री गुरु नानक देव जी तक़रीबन 1517 ईसा पूर्व में इस जगह आये थे यहाँ के गुरुद्वारे में एक पवित्र पत्थर है जिसमे गुरुनानक जी के शारीर का निशान और एक राक्षस के पैरो के निशान है इस पत्थर का एक प्राचीन कहानी है पत्थर साहिब गुरुद्वारा सुबह के 6 बजे से लेकर सायं 7 बजे तक खुलता है
Gurudwara Patthar Sahib Gurudwara Pathar Sahib
Hemis Monastery Ladakh | हेमिस मठ लद्दाख़ –
लेह के दक्षिण-पूर्व दिशा में करीब 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हेमिस मठ कहा जाने वाला यह स्थान जिसे बहुत से लोग हेमिस गोम्पा के नाम से भी जानते है जो एक बौद्ध मठ है जहां बहुत से लोग घुमने के लिए के जाते है यह हेमिस मठ लगभग 12000 फुट की उंचाई पर स्थित है तथा सिन्धु घाटी के पश्चिमी किनारे पर मौजूद है हेमिस मठ का निर्माण सन 1603 ई में स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने कराया था जिसे बाद में सन 1972 ई में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने इस मठ का पुर्निर्माण कराया था
हेमिस मठ घुमने के लिए कुछ जरुरी बाते –
- अगर आप हेमिस मठ घूमना चाहते है आपको कम से कम 2-3 दिन का समय निकलना पड़ेगा
- इसमें आपको प्रवेश शुल्क देने होते है जिस समय मै गया था उस समय इसका प्रेवश शुल्क 50 रू था
- हेमिस मठ प्रतिदिन सुबह के 08:00 बजे से दोपहर के 1:00 तक और 2:00 बजे से सायं 6:00 बजे तक खुलता है
- इस मठ के अन्दर फोटोग्राफी करने की अनुमति है तो आप आराम से अपने साथ कैमरा लेकर जा सकते है
- यहाँ घुमने का सबसे अच्छा मौसम मई से सितम्बर के बिच का माना जाता है
Hemis Monastery Image Hemis Monastery
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Phugtal Monastery Ladakh Facts In Hindi | फुगताल मठ लद्दाख़ –
लगभग 2250 वर्ष पुराना यह फुग्ताल मठ जिसे हम फुकताल मठ के नाम से भी जानते है अगर आपको ट्रेकिंग करना बहुत पसंद है तो मानो जैसे यह जगह आपके लिए ही बनी हो क्युकी ज्यादातर लोग यहाँ ट्रेकिंग करने के लिए ही आते है इस मठ में लगभग 700-800 भिछुओ के लिए 4 प्रार्थना कक्ष , रसोई , लाइब्रेरी ( पुस्तकालय) , अतिथि भवन आदि मौजूद है यह एक ऐसा जगह है जो दूर से देखने में एक चिड़ियाँ की घोसले की तरह दीखता है
Phugtal Monastery Image Phugtal Monastery ladakh
फुगताल मठ घुमने के लिए कुछ जरुरी बाते –
- इस मठ तक जाने के लिए आपको बहुत ही मुश्किल भरे रास्तो से होकर जाना होगा इसीलिए आप ध्यान से ट्रेकिंग करें
- यहाँ आप किसी साधन से नहीं जा सकते यहाँ तक जाने के लिए आपको पैदल ही चलना होगा
- इसमें फोटोग्राफी करने की अनुमति नहीं दी गई है
- यह मठ सुबह 06:00 से सायं 04:00 बजे तक खुलता है
- इसमें कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है
- यहाँ घुमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक और सितम्बर से अक्टूबर तक का माना जाता है
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