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गंगा तरंग रमणीय जातकलापनाम, गौरी निरन्तर विभूषित वामभागम!
नारायणप्रियम अनंग मदापहारम, वाराणसीपुर पतिम भज विश्वनाथम!!


Best season to visit varanasi in hindi | पर्यटक स्थल बनारस – काशी नगरी घुमने का सबसे अच्छा मौसम (Season) सितम्बर महीने के मध्य से लेकर मार्च तक का महीना माना जाता है लेकिन हाँ अगर आपको बारिश का मौसम बहुत ही ज्यादा पसंद है तो आपके लिए सबसे अच्छा समय जून से लेकर अगस्त तक का है जो आपके लिए सबसे बेस्ट है क्युकी इसी 3 महीनो के बिच सावन भी पड़ता है और सावन के महीने में यहाँ पुरे एक महीने तक बहुत ही ज्यादा लोग वाराणसी के दर्शन के लिए आते है और यहाँ के जगहों को देखकर आकर्षित हो जाते है तो आइये हम बात करते है वाराणसी (best places to visit in varanasi in hindi) में घुमने वाले जगह के बारे में और बनारस की कुछ जानकारी –


Best season to visit varanasi in hindi | पर्यटक स्थल बनारस – काशी नगरी कहा जाने वाला बनारस जो हिन्दू धर्म के लिए भारत के पवित्र स्थानों में शामिल है जिसे देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते है और बनारस की प्रसिद्ध जगहों का लुफ्त उठाते है तथा वाराणसी पर्यटक स्थल देखने के लिए रोजाना हजारो लोग आते है यहाँ आपको सैकड़ो हज़ारो मंदिर मिलेंगे एक शब्दों में कहा जाए तो यहाँ हर गली में आपको एक मंदिर देखने को मिल जाता है
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Kaashi Varanasi Image -
वाराणसी उत्तर प्रदेश -
बनारस उत्तर प्रदेश
अगर आप कभी वाराणसी का दर्शन करने जाते है तो आप वहाँ की लस्सी पीना बिलकुल न भूले क्युकी बनारस की लस्सी और चाय बहुत ही खास मानी जाती है और रही बात पान की तो वो तो अपने आप में ही प्रसिद्ध है लेकिन बहुत से लोग पान नहीं खाते हाँ अगर आपको पान खाने का शौक है तो आप बनारसी पान खा सकते है तो आइये हम बात करते है बनारस के आस-पास घुमने वाले जगहों के बारे में
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Best season to visit varanasi in hindi | पर्यटक स्थल बनारस – वाराणसी में नदीयों के किनारे पैदल चलने के लिए रिवरफ्रंट बनाये गये है जिसे हम लोग घाट के रूप में जानते है वाराणसी में कुल 88 घाट है जिसमे से मणिकर्णिका घाट , और राजा हरिशचंद्र घाट मुख्यतः श्मशान के रूप में उपयोग किया जाता है तथा अन्य घाटो को पूजा और स्नान के लिए उपयोग किया जाता है यहाँ पर आप नाव ,शिप , स्टीमर , क्रूज के शहारे नदी में घूम भी सकते है जो आपको नदी के एक छोर से दुसरे छोर तक लेकर जाते है नदी के दुसरे छोर पर आपको घोड़े , ऊंट मिलते है जहां आप उनकी सवारी भी कर सकते है


और अन्य कई नाव होते है जो आपको केवल नदी के घाटो का दर्शन कराते है जो प्रतिव्यक्ति (वर्तमान समय) में 30 रू लेते है जब आप नाव में सवार होते है तो आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे ठंडी-ठंडी हवाए और चारो तरफ पानी ही पानी और सामने घाटो का खुबसूरत नज़ारा बहुत ही आनंदायक होता है बनारस में अनेक नदिया बहतीं है जैसे, – गंगा , गोमती , करमनासा , गड़ई , चंद्रप्रभा , बानगंगा , वरुणा आदि | लेकिन यहाँ की सबसे प्रमख नदी गंगा है
पर्यटन स्थल बनारस – 😍
दुर्गाकुंड मंदिर गोदौलिया बाजार काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी रामनगर किला दशाश्वमेध घाट आलमगीर मस्जिद तुलसीमानस मंदिर संकटमोचन मंदिर राजा हरिशचंद्र घाट मणिकर्णिका घाट
Durgakund temple Varanasi | दुर्गाकुंड मंदिर वाराणसी –
Best season to visit varanasi in hindi | पर्यटक स्थल बनारस – यह काशी की पवित्र मंदिरों में से एक है यह वाराणसी केंट रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इस मंदिर के अंन्दर पहले एक दुर्गा जी का कुंड था लेकिन नगरपालिका के तरफ से इसे फव्वारा ( Fountain) में बदल दिया गया जिसकी वजह से इसका मूल सुन्दरता नहीं रहा लेकिन फिर भी इसका नज़ारा देखने में बहुत सुन्दर है इस मंदिर में माँ दुर्गा जी का मुखतः विराजमान है तथा इसमें लक्ष्मी जी , काली माता जी , बाबा भैरोनाथ जी , सरस्वती जी का मूर्ति रूपक अलग से मंदिर भी है


यहाँ ज्यादातर लोग मांगलिक कार्यक्रम , मुंडन , एव दर्शन करने के लिए जाते है और यहाँ एक हवन कुंड स्थापित है जिसमे रोजाना हवन होता है तथा सावन में महीने में पुरे एक माह तक यहाँ मेला भी लगता है जहां दूर-दूर से लोग इस मेले में शामिल होते है इसके थोड़ी ही दुरी पर एक आनंद पार्क भी मौजूद है जहां आप जाकर अपना समय व्यतीत कर सकते है


Godowlia Market Varanasi | गोदौलिया बाजार वाराणसी –
यह बाज़ार दशाश्वमेध घाट के तरफ जाने में पड़ता है इस बाज़ार में आपको खाने -पिने से लेकर ओढने पहनने तक का सारा सामान मिलता है इस मार्केट में बहुत ही भीड़ होता है आप यहाँ से घरेलू सामान भी खरीद सकते है इस बाज़ार के पास ही में काशी विश्वनाथ मंदिर भी पड़ता है जो बनारस के प्रमुख मंदिरों में शमिल है


यहाँ आप भगवान की मूर्ति या पूजा में उपयोग करने के अन्य सामान तथा खाने पिने वाले सामान जैसे कचौड़ी , समोसे , लस्सी , चाय , कोल्ड ड्रिंक आदि ले सकते है अगर आपको कपडे का मार्केटिंग करना है तो आप इस बाज़ार में जा कर सस्ते से सस्ता और अच्छे से अच्छा कपडा ले सकते है इस बाज़ार में लेडिस कपडे बहुत ही ज्यादा बिकते है आप इस रास्ते के माध्यम से दशाश्वमेध घाट तक आसानी से पहुँच सकते है
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी | Kashi Vishwanath Temple –
यह एक हिन्दू धार्मिक पवित्र मंदिर है जो बनारस के प्रमुख मंदिरों में शामिल है जिसे देखने के लिए लोगो की बहुत ही ज्यदा भीड़ लगी रहती है यह बनारस में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ जी विराजमान है जिन्हें लोग विश्वनाथ या विश्वेश्वर जी के नाम से जानते है बनारस को काशी के नाम से भी जाना जाता है इसीलिए इस मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ मंदिर है सन 1780 ई में वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा कराया गया था लेकिन बाद में महाराजा रणजीत सिंह जी के द्वारा सन 1853 ई में 1000 कि.ग्रा. शुद्ध सोने से पुनः निर्माण कराया गया यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है
" हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार शंकर भगवान जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए थे उस 12 जगह को 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है जो अलग अलग स्थानों पर है उसी में से एक ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर है "


Ramnagar Fort Varanasi | रामनगर किला वाराणसी
गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित रामनगर का किला बहुत ही प्रसिद्ध है जो वाराणसी केंट से लगभग 30 मिनट की दुरी पर है अगर आपको एतिहासिक जगह पसंद है तो आप इस किले को घुमने के लिए जरुर जाएँ क्युकी यहाँ पर आप राजा-महाराजा के समय की बहुत सारी वस्तुओ को देख सकेंगे जो आपके लिए एक रोमांचक भरा पल होगा क्युकी जब हम हजारो साल पुराने किसी वस्तु को देखते है तो हम उसी समय में खो जाते है और हमारे मन में बहुत सारे सवाल आने लगते है क्युकी मैंने खुद ऐसा अनुभव किया है जो एक बहुत ही मजेदार होता है यहाँ आप पुराने जमाने की वस्तुओ को देख सकते है
जैसे - प्राचीन हस्तलेख व ग्रंथ , पुराने फर्नीचर , शाही गाड़ियां , शाही कपडे , चांदी की कंठियाँ , पुराने जमानो के तलवार और बन्दुक , 17वीं शताब्दी के शिलालेख तथा 19 वीं शताब्दी की खगोलीय घड़ी जिसमे ग्रह , चन्द्रमा , सूर्य की स्थिति पता चलता था आदि


यह किला तुलसी घाट के सामने मौजूद है जिसका निर्माण काशी नरेश बलवन्त सिंह जी ने सन 1750 ई में बनवाया था यहाँ दशहरे का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है जहां काशी नरेश जी की हाथी पर सवारी निकलती है और साथ ही में बहुत ही लम्बा जुलूस भी रहता है और उसके बाद 1 महीने तक वहां रामलीला भी चलता है उस समय यहाँ बहुत ही ज्यादा चहल-पहल रहता है


Dashashwamedh Ghat Varanasi | Famous Ghat In Varanasi | दशाश्वमेध घाट वाराणसी –
दशाश्वमेध घाट बनारस के प्रमुख घाटो में से एक है काशीखण्ड के अनुरूप शिवप्रशित ब्रम्हा जी काशी में आकर उन्होंने इसी जगह पर 10 अश्वमेध यज्ञ किया था वैसे तो इसकी कहानी बहुत ही तरह से लोग बताते है कुछ लोगो का कहना है की यहाँ निर्वासन से शिव जी को वापस बुलाने के लिए एक यज्ञं का आयोजन किया था और दस घोड़ो का बलिदान दिया गया था लेकिन अभी तक यह पूरा स्पष्ट नहीं हो पाया है


सन 1929 ई में यहाँ स्थित रानी पुटिया के मंदिर के निचे खुदाई में बहुत सारे यज्ञकुंड पाया गया था दशाश्वमेध घाट सभी घाटो में सबसे सुन्दर माना जाता है क्युकीयहाँ पर्यटक सबसे ज्यादा घुमने के लिए आते है इसीलिए यह घाट बनारस के घाटो में सबसे मुख्य माना जाता है और यहाँ रोजाना गंगा आरती भी होती है जो की दीपक को जला कर नदी में प्रवाहित किया जाता है जो देखने पर एक बहुत ही खुबसूरत नज़ारा होता है गोदौलिया बाजार से होते हुए आप इस घाट तक आसानी से पहुँच जायेंगे


Alamgir Mosque Varanasi | आलमगीर मस्जिद वाराणसी –
इस मस्जिद का निर्माण 17 वीं शताब्दी में औरंगजेब ने कराया था इसीलिए इस मस्जिद को औरंगजेब की मस्जिद या बेनी माधव का दरेरा और धरहरा मस्जिद के नाम से भी जाता है इस मस्जिद की सबसे बड़ी खूबसूरती इसकी दो मीनारे थी जो वर्तमान समय में टूट चुकी है यह पंचगंगा घाट पर स्थित है कुछ लोगो का मानना है की मस्जिद से पहले यहाँ बिंदु माधव मंदिर हुआ करता था जिसे बाद में तोड़ कर मस्जिद बनाया गया


कहा जाता है की बिंदु महाराज दक्षिण भारत के महाजन थे जब दिल्ली से औरंगजेब बनारस आये थे तो बिंदु महाराज ने उन्हें उसी जगह शरण दिया था और औरंगजेब ने वही पर नमाज अदा की औरंगजेब को वो जगह इतनी पसंद आई की उन्होंने बिंदु महाराज से वो महल मांग लिया और सन 1663 ई में धरहरा नाम का मस्जिद बनवाया मस्जिद के बहार एक तालाब है और उसमे लगा फुहारा लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करता है नदी के घाटो के बिच बना ये मस्जिद अपने आप में ही बहुत खास है
Tulsimanas Temple Varanasi | तुलसीमानस मंदिर वाराणसी –
यह काशी के प्रमुख मंदिरों में शामिल है इस मंदिर का निर्माण सेठ रतन लाल सुरेका जी करवाया था सन 1964 ई में भारत के समकालीन राष्ट्रपति महामहिम सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के द्वारा हुआ था यह मंदिर वाराणसी केंट से लगभग 5 किलोमीटर की दुरी पर दुर्गा मंदिर के पास स्थित है इस मंदिर के मध्य में भगवान श्री राम जी , माता जानकी जी , लक्ष्मण जी एवं हनुमान जी विराजमान है तथा एक तरफ माता अन्नपूर्णा और शंकर जी तथा दूसरी तरफ सत्यनाराण जी का मंदिर स्थित है


इसकी दूसरी मंजिल पर तुलसी दास जी का विराजमान है जहां श्री राम और कृष्ण लीला का आयोजन होता है इस मंदिर की सबसे ख़ास बात यह है की मंदिर के दीवारों पर रामचरितमानस का चौपाई लिखा हुआ है तथा दीवारों पर रामायण के प्रमुख चित्रों की नक्कासी की गई है यहाँ अन्नकूट महोत्सव पर छप्पन भोग की झांकी लोगो को बहुत आकर्षित करती है


Sankat Mochan Temple Varanasi | संकटमोचन मंदिर वाराणसी –
”बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनो लोक भयो अंधियारो !
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहू सो जात न टारो !!
देवन आनि करी बिनती तब छाडी दियो रबि कष्ट निवारो !
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो” !!
इस मंदिर का निर्माण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक श्री मदन मोहन मालवीय जी ने सन 1900 ई में कराया था तथा मंदिर की स्थापना कवी तुलसीदास जी ने किया था इस मंदिर में हनुमान जयन्ती बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है उस दिन यहाँ बहुत ही ज्यादा श्रद्धालु आते है और इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते है यहाँ की मूर्ति को देखकर लोग बहुत ही आश्चर्य हो जाते है क्युकी


इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति इस प्रकार है जैसे मानो वो भगवान श्री राम के तरफ देख रहे हो तथा संकट मोचन महाराज के हृदय के ठीक सामने भगवान राम की मूर्ति है देखने में ऐसा लगता है जैसे संकट मोचन महराज के हृदय में श्री राम और माता सीता जी का विराजमान है इस मंदिर में एक कुंआ है लोगो का मानना है की वो कुंआ संत तुलसीदास जी के जमाने का है तथा श्रद्धालु इस कुँए का पानी पि सकते है यहाँ शनिवार और मंगलवार को भारी संख्या में श्रद्धालु आते है
Raja Harishchandra ghat Varanasi | राजा हरिशचंद्र घाट वाराणसी –
हरिश्चन्द्र घाट बनारस का बहुत ही प्रसिद्ध घाट माना जाता है क्युकी यहाँ चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती मानो जैसे यह घाट दिन-रात चिताओं की लपेटो में घिरा हुआ हो इस घाट पर हिन्दू धर्म के लोगो का अंतिम संस्कार किय जाता है जहां लोगो को मोक्ष की प्राप्ति होती है यहाँ एक डोम राजा परिवार रहता है माना जाता है की काशी नरेश जी ने बहुत ही भव्य भवन डोम राजा को निवास हेतु दान किया था जो हरिश्चंद्र घाट के समीप मौजूद है जो की स्वयं को कल्पित काल में वर्णित कालू डोम का वंशज मानता है क्युकी डोम राजा के पूर्वज कालू डोम थे


कहा जाता है की कालू डोम ने राजा हरिश्चन्द्र जी को खरीदा था यहाँ राजा हरिश्चंद्र और उनकी माता तारामती एवं रोहताश्व का अतिप्राचीन मंदिर है तथा पास में एक शिव मंदिर भी स्थित है इस घाट पर सन 2020 में होली में चिता भस्म होली की शुरुआत हुयी इससे पहले चिता भस्म की होली मणिकर्णिका घाट पर ही प्रचलित थी
Manikarnika Ghat Varanasi | मणिकर्णिका घाट वाराणसी –
दाह-संकार के लिए यह बनारस का बहुत ही प्रसिद्ध घाट है इसीलिए अपने अंतिम समय में लोग यहाँ आना चाहते है इस घाट के पास शिव जी और माँ दुर्गा जी का मंदिर स्थित है जिसका निर्माण मगध के राजा ने कराया था एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है की माता पार्वती जी का कर्ण पुष्प यहाँ स्थित एक कुंड में गिर गया था उस फुल को शंकर भगवान जी ने ढूंढा था यही कारण है की इस घाट का नाम मणिकर्णिका के नाम से पड़ा तथा दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी का दाह-संस्कार इस घाट पर किया था इसीलिए इस घाट को महाश्मसान के नाम से जाना जाता है


वैसे तो श्मसान घाट कोई जाना नहीं चाहता लेकिन यहाँ देश- विदेश से लोग आते है और यहाँ जिंदगी के अंतिम सत्य को महसूस करते है अगर आप लोग जिंदगी की असलियत जानना चाहते है तो आप लोग एक बार मणिकर्णिका घाट , हरिश्चंद्र घाट जाकर वहां कुछ समय जरुर बिताए उस समय आप दुनिया का सारी परेशानी भूल जायेंगे क्युकी जो भी है सब बस एक राख में मिल जाता है उस समय आपके सामने जो चिता जल रही हो उस चिता के जलने के साथ-साथ अपनी सारी परेशानी और चिंता को उसी चिता में जला दे और सारी परेशानियों को भूल कर एक नयी जिंदगी की शुरुवात करे और हमेशा खुश रहे 😊
तो दोस्तों यह थी मेरी बनारस के बारे में कुछ जानकारी मै आशा करता हूँ की आपको इस ब्लॉग पोस्ट से अच्छी-अच्छी जानकारी मिली होगी और हाँ अगर इस पोस्ट में कोई कमी हो तो आप सब कमेन्ट कर के जरुर बताये
धन्यवाद !
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